पूजा के साथ जरूर करे गणेश जी के इन स्तुति मंत्र का जप,पूरी होगी सारी मनोकामना
ईश्वर के मंत्रों में इतनी ताकत होती है कि उनके मंत्रों का जप कर सिद्ध करने के पश्चात्, मंत्र के बल पर मनुष्य जिस चीज की इच्छा करता है, हफ्ते भर में पूरी होने लगती है। मंत्र जप से भूत प्रेत, चोर डाकू, राज कोप, आशंका, भय, अकाल मृत्यु, रोग तथा अनेक तरह की अड़चनों का निवारण करके मनुष्य को सदैव तेजस्वी भी बनाएं रख सकता है। वही प्रभु श्री गणेश सभी देवताओं से पहले पूजे जाते हैं। हर-पूजा पाठ की शुरआत उन्हीं के आवाह्न के साथ होती है। गणपति महाराज शुभता, बुद्धि, सुख-समृद्धि के देवता हैं। जहां प्रभु श्री गणेश का वास होता है वहां पर रिद्धि सिद्धि एवं शुभ लाभ भी विराजते हैं। इनकी पूजा से शुरू किए गए किसी कार्य में अड़चन नहीं आती है इसलिए प्रभु श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश वंदना करनी चाहिए। मंत्र समेत उनकी पूजा करनी चाहिए।
गणेश वंदना
हे एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकं।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम….ॐ हरि ॐ
गणपति है वकर्तुंडंम, एकदंतम गणपति है,
कृष्णपिंगाक्षम गणपति, गणपति गजवक्त्रंमम….
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
गणपति लम्बोदरंम है, विकटमेव भी है गणपति
विघ्नराजेंद्रम गणपति, हो तुम्ही धूम्रवर्णमंम।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
भालचंद्रम गणपति है, विनायक भी गणपति है,
गणपति एकादशं है, द्वादशं तू गजाननंम।।
है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।
बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।….ॐ हरि ॐ
गणेश स्तुति मंत्र
ॐ श्री गणेशाय नम:।
ॐ गं गणपतये नम:।
ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।
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