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देश के सबसे बड़े स्माग टावर का निर्माण कार्य निर्धारित तिथि यानी छह जून तक नहीं हो पाएगा पूरा

देश के सबसे बड़े स्माग टावर का निर्माण कार्य निर्धारित तिथि यानी छह जून तक पूरा नहीं हो पाएगा। कोरोना के खलल की वजह से इसके निर्माण की गति धीमी रही है। अब इस परियोजना को पूरा करने की तिथि दो माह आगे बढ़ाने की तैयारी चल रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक अधिकारी ने बताया कि जल्द इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया जाएगा।

पंखे लग रहे, फिल्टर लगाने का काम बाकी

आनंद विहार बस अड्डा परिसर में मेट्रो स्टेशन के सामने देश का सबसे बड़ा 78 फीट (करीब 24 मीटर) ऊंचा स्माग टावर बन रहा है। टावर खड़ा कर दिया गया है। उसमें 40 पंखे लगाने का काम चल रहा है। इसके पूरा होने के बाद चार हजार से ज्यादा फिल्टर लगाए जाएंगे। फिल्टर निर्माण स्थल पर आ चुके हैं। इनके फ्रेम भी वहां पहुंच गए हैं।

प्रति सेकंड 864 घन मीटर हवा होगी स्वच्छ

स्माग टावर में ऊपर से दूषित हवा प्रवेश करेगी। पंखों की मदद से दूषित हवा को वातावरण से खींचा जाएगा। फिल्टर के जरिये स्वच्छ होने वाली हवा को टावर के निचले हिस्से से वापस वातावरण में छोड़ दिया जाएगा। सीपीसीबी का दावा है कि स्माग टावर प्रति सेंकड 960 घन मीटर दूषित हवा को वातावरण से खींचने में सक्षम होगा। नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) की मदद से इसमें से प्रति सेकंड 864 घन मीटर वायु स्वच्छ होकर निकलेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस टावर को लगाने का काम किया जा रहा है। सीपीसीबी के निर्देशन में टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और आइआइटी बाम्बे इसका निर्माण कर रही है। एनबीसीसी परियोजना का प्रबंधन संभाल रहा है।

स्माग टावर से जुड़े तथ्य

2600 वर्ग मीटर जमीन का होगा उपयोग

लागत 18.53 करोड़ रुपये

स्माग टावर के पंखों की आवाज को बाहर जाने से रोकने को लगेंगे साइलेंसर

टावर को संचालित करने के लिए लेना होगा बिजली कनेक्शन

स्माग टावर का काम पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध

सीपीसीबी स्माग टावर का काम पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना की दुश्वारियों के बीच टावर का काफी काम हुआ है। लेकिन, बाकी परियोजनाओं की तरह स्माग टावर के निर्माण कार्य की गति पर जरूर फर्क पड़ा। इस कारण इसे बनने में देरी होगी।

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