Uttar Pradesh

जेके सीमेंट के निधि से जिले के 23 आंगनबाड़ी केंद्रों का बदला हाल, जानें क्‍या है योजना

जेके सीमेंट के औद्योगिक सामाजिक सुरक्षा (सीएसआर) निधि से जिले के 23 आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बदल गया है। इन केंद्रों पर नौनिहालों के बैठने के लिए फर्नीचर से लेकर खेलने-कूदने के झूले तक हैं। वाटर कैंप से नौनिहालों को कीटाणु मुक्त पानी पीने को मिलता है। दीवारों पर आकर्षिक पेंटिंग व पूरे परिसर में टाइलीकरण है। बिजली की भी भरपूर व्यवस्था है। बच्चों के साथ अभिभावक व अफसर भी इस कार्य को देखकर गदगद है।

दो फीसद का नियम

 कंपनी एक्ट के तहत सभी प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को सीएसआर के रूप में मुनाफे का न्यूनतम दो फीसद हिस्सा सामाजिक विकास से जुड़े कार्यो में खर्च करना होता है। इसके जरिये सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के कदम उठाए जाते हैं। इससे वहां की संरचना, पर्यावरण व सांस्कृतिक विषयों को बढ़ाने में मदद मिलती है।

जेके सीमेंट को दिया प्रस्ताव

 जिले में कुल 3039 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें से कुछ आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल स्थिति में हैं। विभाग के पास इतना बजट नहीं है कि इन पर काम कराया जा सके। ऐसे में पिछले दिनों बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने जेके सीमेंट को औद्योगिक सामाजिक सुरक्षा निधि से इन आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कराने के लिए प्रस्ताव दिया था। इस पर कंपनी की तरफ से जिले के 23 आंगनबाड़ी केंद्रों पर काम कराया गया। अब यह आंनगाबड़ी केंद्र आधुनिक हो चुके हैं।

इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर हुआ है काम

रोरावर, धाैरामाफी के चार, रामगढ़ पंजीपुर के तीन, नगला पटलवारी, धनसारी के तीन, तालसपुर कला के दो, हरदुआगंज, नगला कुतिया, रामपुर, चूहरपुर, कलुआ, बाकनेर, जरारा, तरा, भड़ीरा शामिल हैं।

हर केंद्र पर इस तरह हुआ है काम

हर केंद्र पर कंपनी की तरफ से फर्नीचर, बिजली कार्य, टाइलीकरण, वाटर कैंप, प्री स्कूल किट, वाल पेंटिंग, झूला सीसी व स्लाइडर, दो बड़ी कुर्सी, एक बड़ी टेबल, चार राउंड मेज व 20 छोटी कुर्सी शामिल हैं।

तो सुधर जाएगी दशा : जेके सीमेंट की तरह अगर जिले की सभी बड़ी फैक्ट्रियां आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों पर काम करें तो फिर जिले के सभी ब्लाकों में इनकी हालात में तेजी से सुधार होगा।

जेके सीमेंट ने जिले के 23 आंगनबाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण कराया। है। इसमें फर्नीचर से लेकर बिजली फिटिंग तक का काम हुआ है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के लिए यह बड़ी सौगात है।

श्रेयस कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी

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