Religious

जाने संतान के सुखी और आरोग्य जीवन के लिए अहोई अष्टमी का व्रत के ये नियम,जानें महत्व एवं तारों को देखने का समय

संतान के सुखी और आरोग्य जीवन के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। जिन लोगों की कोई संतान नहीं है, वे अहोई अष्टमी के दिन कुछ ज्योतिष उपाय करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। अहोई माता और गणेश जी की कृपा आप पर होगी। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत के नियम और उपाय के बारे में।

अहोई अष्टमी व्रत के नियम

1. अहोई अष्टमी के दिन निर्जला व्रत रखते हैं। अस्वस्थ और गर्भवती महिलाएं अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए व्रत करें, तो ठीक है।

2. अहोई अष्टमी व्रत से एक दिन पूर्व घर में तामसिक चीजों का सेवन न करें। ऐसा करने से व्रत निष्फल हो जाएगा।

3. अहोई अष्टमी की रात तारों को अर्घ्य देने के लिए पीतल के लोटे या स्टील के पात्र का उपयोग कर सकते हैं। पूजा के समय अहोई माता की आरती और अहोई अष्टमी व्रत की कथा अवश्य सुनें।

4. व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करते समय बच्चों को अपने पास बैठाएं। फल, मिठाई और पकवान आदि का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद स्वरुप बच्चों को दे दें। इस पूजा में अहाई माता को दूध-चावल का भोग लगाने की परंपरा है।

5. अहोई अष्टमी की पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद को दान दें।

6. अहोई अष्टमी के व्रत का पारण रात्रि के समय करते हैं।

7. व्रत करते हुए दोपहर में सोना वर्जित होता है। इससे आलस्य आता है।

अहोई अष्टमी पर संतान प्राप्ति उपाय

नि:संतान दंपत्ति को अहोई अष्टमी के दिन गणेश जी को बेलपत्र अर्पित करें और ‘ओम पार्वतीप्रियनंदनाय नम:’ मंत्र का 11 माला जप करें। अहोई अष्टमी से 45 दिन तक यह लगातार करना होता है।

अहोई अष्टमी 2021 पूजा मुहूर्त

अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा का मुहूर्त शाम को 01 घंटे 17 मिनट का है। 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त है।

अहोई अष्टमी 2021 तारों को देखने का समय

अहोई अष्टमी के दिन शाम को 06 बजकर 03 मिनट से तारों को देखकर आप करवे से अर्ध्य दे सकती हैं।

अहोई अष्टमी 2021 चन्द्रोदय

इस वर्ष अहोई अष्टमी को रात 11 बजकर 29 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा।

अहोई अष्टमी व्रत विधि

महिलाएं संतान के लिए अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को अहोई माता की विधि विधान से पूजा करती हैं। तारों को करवे से अर्ध्य देने के बाद आरती करती हैं। फिर संतान के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को पूरा करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत को अहोई आठे भी कहा जाता है।

Related Articles

Back to top button
Event Services