जाने माघ की शिवरात्रि और प्रदोष व्रत के विशिष्ट संयोग के बारे में….
माघ माह में भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व है। इस माह में गंगा स्नान कर शिव पूजन करने और उन्हें गंगा जल अर्पित करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। माघ माह में शिव पूजन के प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है।साथ ही इस दिन सर्वाथ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस संयोग में भगवान शिव का पूजन का विशेष फल मिलता है। पंचाग गणना के अनुसार इस माह की शिवरात्रि और प्रदोष व्रत 30 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन रविवार होने के कारण रवि प्रदोष का पूजन किया जाएगा। आइए जानते हैं माघ की शिवरात्रि और प्रदोष व्रत के विशिष्ट संयोग के बारे में….
प्रदोष व्रत और शिवरात्रि का विशिष्ट संयोग –
पंचांग के अनुसार महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी को रात 8 बजकर 37 मिनट पर शुरु हो रही है। इसका समापन 30 जनवरी को शाम 5 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। उदयातिथि में प्रदोष व्रत 30 जनवरी के दिन रविवार को रखा जाएगा। रविवार को त्रयोदशी तिथि की वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। वहीं रविवार को ही शाम 5 बजकर 27 मिनट पर चतुर्दशी तिथि शुरू हो रही है, जो अगले दिन 31 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।
मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त –
30 जनवरी को शाम 6 बजे से रात 8 बजकर 5 मिनट तक प्रदोष व्रत के पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। जबकि मासिक शिवरात्रि की पूजा के लिए 30 जनवरी को रात 11 बजकर 20 मिनट से देर रात 1 बजकर 18 मिनट तक पूजा करने का समय शुभ माना गया है।
भगवान शिव की पूजा विधि –
मासिक शिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त में शिव जी का रुद्राभिषेक दूध, जल, घी, शक़्कर, शहद, दही इत्यादि से करें। इसके आलाव शिवलिंग पर बेलपत्र और धतूरा चढ़ाएं। धुप, दीप, फल और फूल से भगवान शिव की पूजा करें। शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति करें। रवि प्रदोष व्रत का पूजन शाम को प्रदोष काल में किया जाता है। रवि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें और स्नान के बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। फिर शिवलिंग की पूजा करें और दान-पुण्य करने के बाद अगले दिन व्रत का पारण करें।
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