जानिए भगवान शिव को क्यों प्रिय हैं जल, दूध, दही जैसी शीतल चीजें
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महाशिवरात्रि पर्व इस बार एक मार्च को है। इसे शिव पूजा का महापर्व कहा गया है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त शिवलिंग पर हर रोज जल चढ़ाता है तो उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिवजी का जलाभिषेक करने का महत्व काफी अधिक है।
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शिवजी को भोलेनाथ भी कहा जाता है। शिव पर ठंडक देने वाली जल, दूध, दही, घी, पंचामृत जैसी शीतल वस्तुएं चढ़ाई जाती है। पर्व निर्णय सभा उत्तराखंड के सचिव डा. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि जलाभिषेक का अर्थ शिवजी का जल से स्नान कराना है। शिवजी का एक नाम रुद्र भी है। जलाभिषेक को रुद्राभिषेक भी कहा गया है। नैनीताल जिले के छोटा कैलास में विशेष मेला रहेगा। अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिले में भी महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन होगा। Ads by Jagran.TV
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जलाभिषेक के लिए कौन से बर्तन वर्जित
डा. जोशी का कहना है कि भक्तों को स्टील, एल्युमिनियम या लोहे के बर्तन से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से परहेज करना चाहिए। इसके लिए सोने, चांदी या तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। शिवलिंग पर जल व शीतलता देने वाली चीजें चढ़ाने की परंपरा का संबंध समुद्र मंथन से है। लोटे में जल भरें और पतली धारा शिवलिंग पर चढ़ाएं। शीतलता के लिए ही शिव जी चंद्रमा को मस्तक पर धारण करते हैं।
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ठंडी चीजें चलाने की मान्यता
समुद्र मंथन से निकले विष को शिवजी ने पी लिया था। उन्होंने विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया। विष की वजह से शिव जी का गला नीला गया हो गया और उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया। विष में अत्यधिक गर्मी थी और उसका असर कम करने व शीतलता देने के लिए शिवजी को ठंडा जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
ऐसे करें भोलेनाथ का पूजन
महाशिवरात्रि पर ब्राह्मण या पंडित के बिना भी सरल तरीके से पूजा की जा सकती है। डा. जोशी कहते हैं कि सबसे पहले गणेश पूजा करें। इसके बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय शिवजी के मंत्रों का जप करें। जल के साथ ही शिवलिंग पर दूध, दही, शहद अर्पित करें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
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