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जानिए एलआईसी बीमा रत्न योजना पॉलिसी से जुड़ी कुछ खास बातें, डेथ बेनिफिट्स से लेकर प्रीमियम भुगतान तक

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने शुक्रवार को बीमा रत्न (LIC Bima Ratna) नाम के एक नॉन-लिंक्ड, नॉन-पार्टिसिपेटिंग, व्यक्तिगत, बचत जीवन बीमा योजना शुरू की। यह योजना सुरक्षा और बचत, दोनों प्रदान करती है। एलआईसी के शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद उसका यह पहला नया उत्पाद है। इसे कॉर्पोरेट एजेंटों, बीमा विपणन फर्मों (आईएमएफ), ब्रोकर्स, सीपीएससी-एसपीवी, और पीओएसपी-एलआई के माध्यम से खरीदा जा सकता है। चलिए, इसके बारे में पांच बड़ी बातें जानते हैं।

डेथ बेनिफिट्स (Death Benefit)

मृत्यु पर मिलने वाली राशि, मूल बीमा राशि के 125% से अधिक या वार्षिक प्रीमियम के 7 गुना तक होगी। यह भुगतान मृत्यु की तारीख तक भुगतान किए गए कुल प्रीमियम (किसी भी अतिरिक्त प्रीमियम, किसी राइडर प्रीमियम और करों को छोड़कर) के 105% से कम नहीं होगा।

सर्वाइवल बेनिफिट्स (Survival Benefit)

अगर पॉलिसी की अवधि 15 साल है तो 13वें और 14वें पॉलिसी वर्ष के अंत में एलआईसी मूल बीमा राशि का 25% भुगतान करेगी। अगर 20 साल वाली टर्म प्लान है तो एलआईसी 18वें और 19वें पॉलिसी वर्षों में प्रत्येक के अंत में मूल बीमा राशि का 25% भुगतान करेगी। अगर पॉलिसी योजना 25 सालों के लिए है, तो एलआईसी प्रत्येक 23वें और 24वें पॉलिसी वर्ष के अंत में समान 25% का भुगतान करेगी।

मैच्योरिटी बेनिफिट (Maturity Benefit)

बीमा रत्न योजना के ब्रोशर के अनुसार, अगर बीमित व्यक्ति पॉलिसी की मैच्योरिटी तक जीवित रहता है तो एलआईसी “मैच्योरिटी पर बीमा राशि” के साथ-साथ अर्जित गारंटीशुदा अतिरिक्त भी देगी। यह “मैच्योरिटी पर बीमा राशि”, मूल बीमा राशि के 50% के बराबर है।

पॉलिसी अवधि

योजना के तहत अधिकतम मूल बीमित राशि की कोई सीमा नहीं है। हालांकि, यह 25,000 के गुणकों में होगी। पॉलिसी की अवधि 15 वर्ष, 20 वर्ष और 25 वर्ष होगी। लेकिन, अगर पॉलिसी POSP-LI/CPSC-SPV के माध्यम से ली जाती है तो पॉलिसी अवधि 15 और 20 वर्ष होगी। 15 साल की पॉलिसी अवधि के लिए प्रीमियम भुगतान अवधि 11 वर्ष है जबकि 20 साल और 25 साल की पॉलिसी के लिए यह 16 साल और 21 साल है।

प्रीमियम भुगतान (Premiums Payment)

प्रीमियम का भुगतान नियमित रूप से वार्षिक, अर्धवार्षिक, त्रैमासिक या मासिक अंतराल (मासिक प्रीमियम केवल NACH के माध्यम से) या वेतन कटौती के माध्यम से किया जा सकता है।

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