चीन-पाकिस्तान की सैन्य चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने तैयार किया ये शानदार रोडमैप ,यह आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा कदम
गत रविवार को भारतीय वायु सेना के 114 लड़ाकू विमान अपने बेड़े में शामिल करने की योजना की खबर आई, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से 96 विमानों को देश में ही बनाया जाएगा। नौसेना पहले ही मेक इन इंडिया के रास्ते पर आगे बढ़ चुकी है और थल सेना भी पीछे नहीं है। आइए समझें रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के मामले में भारत की प्रगति की बीते कुछ वर्ष में कैसी रही है और कैसे यह सीमा पर सुरक्षा के साथ आर्थिकी और रोजगार सृजन में भी योगदान कर रही है।
यह हैं आत्मनिर्भरता के बड़े कदम
1- अर्जुन एमके-1ए टैंक: फरवरी 2021 में यह स्वदेशी टैंक भारतीय थल सेना को सौंपा गया। सेना ने ऐसे 118 और स्वदेशी टैंक के लिए निर्माण कंपनियों को आर्डर दिया है।
2- तेजस (हल्का लड़ाकू विमान): वर्ष 2019 में हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड के बनाए हल्के लड़ाकू विमान तेजस को भारतीय वायु सेना के लिए फाइनल क्लियरेंस दिया गया।
3- आइएनएस विशाखापटनम: 28 अक्टूबर 2021 को यह स्वदेशी युद्धक पोत भारतीय नौसेना को सौंपा गया जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में 21 नवंबर 2021 को कमीशन किया गया।
4- शक्ति-एडवांस्ड इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम: समुद्र में नौसेना की ताकत में वृद्धि के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी ने नवंबर 2021 में स्वदेशी इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम शक्ति भारतीय नौसेना को सौंपा।
5- विक्रांत: भारत में बना यह पहला एयरक्राफ्ट करियर अब भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल है।
तीन मोर्चे पर हो रहा है कार्य
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार ने पूरी कार्यप्रणाली को तीन मुख्य मोर्चे में विभाजित किया है। पहला है, देश में ही निर्माण के लिए स्वदेशीकरण की तीन सूचियां बनाना, दूसरा है देश के सरकारी रक्षा क्षेत्र का आधुनिकीकरण और तीसरा मोर्चा है विश्व में एक बड़ा रक्षा निर्यातक देश बनना। सरकार की तरफ से तीन स्वदेशीकरण की सूची जारी की जा चुकी है। अगस्त 2020 में पहली, मई 2021 में दूसरी और अप्रैल 2022 में तीसरी स्वदेशीकरण सूची सरकार ने जारी कर लक्ष्य भेदन की तरफ कदम बढ़ा दिए है।
स्वावलंबन संग मजबूत आर्थिकी पर लक्ष्य
केंद्र सरकार का लक्ष्य यह है कि देश में आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण का ढांचा जल्द से जल्द तैयार कर लिया जाए। उद्देश्य यह भी है कि भारत हथियारों का निर्यात करने वाला देश बने। इससे देश की आर्थिकी में भी वृद्धि होगी और राष्ट्र की जियोपालिटिकल मजबूती भी बनेगी।
सरकारी क्षेत्र का आधुनिकीकरण
दशकों से भारत में आर्डनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड (ओएफबी) के अंतर्गत आयुध निर्माणी इकाईयां हथियारों व गोलाबारूद का निर्माण करती रही है। बदलते समय के साथ आधुनिक रूप व गति प्रदान करने के लिए सरकार ने ओएफबी का कारपोरेटीकरण कर इसके अधीन कार्य कर रहीं फैक्ट्रियों को माडर्न बनाने का कार्य आरंभ किया। अब ओएफबी के स्थान पर देश में छह रक्षा कंपनियां कार्य कर रही है। म्युनिशंस इंडिया लिमिटेड, आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप कंफट्र्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड, इंडिया आपटेल लिमिटेड और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड शामिल है। अच्छी बात यह है कि अपने गठन की पहली छमाही में ही इन छह में से पांच कंपनियों ने प्रोविजिनल बैसेंट शीट में लाभ दिखाया है।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर से तेजी संग रोजगार
1- रक्षा निर्माण क्षेत्र को मजबूत व गतिमान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने डिफेंस इंडस्ट्रियल कारिडोर (डीआइसी) की योजना बनाई है। फिलहाल देश में दो डीआइसी बनाए हैं जिनमें से एक उत्तर प्रदेश में है और दूसरा तमिलनाडु में है।
2- इन्हें पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान में शामिल किया गया है। डीआइसी से रोजगार सृजन भी होगा। डीआइसी में मध्यम व लघु उद्योग क्षेत्र के लिए अवसर पैदा किए जाएंगे।
रक्षा क्षेत्र को वैश्विक मंच देगा आइडेक्स
रक्षा निर्माण क्षेत्र को वैश्विक पहचान देने के क्रम में केंद्र सरकार की दो अहम योजनाओं मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया पर आधारित मंच आइडेक्स बनाया गया है। इससे रक्षा क्षेत्र में नवोन्मेष व शोध को बढ़ावा मिलेगा। देश के 300 रक्षा स्टार्टअप को अवसर मिलेंगे।
रक्षा निर्यात की खुली राह
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्रा. लिमिटेड ने फिलीपींस के रक्षा विभाग के साथ जनवरी में एंटी शिप मिसाइल का सौदा जनवरी 2022 में किया। यहां से राह बनी और दक्षिण एशिया के कुछ अन्य देश भी भारत से हथियार खरीदने में इच्छुक दिख रहे ह
यह भी जानें
1- 500 फीसद की वृद्धि भारत ने रक्षा निर्यात में बीते आठ वर्ष में की है।
2- 4.5 लाख करोड़ के करार स्वदेशीकरण के अभियान में अगले पांच-सात वर्ष में होने का अनुमान है
3- 25 उद्योगों के साथ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने 30 तकनीकी हस्तांतरण करार सात अप्रैल 2022 को किए
4- 1,430 तकनीकी हस्तांतरण समझौते अब तक डीआरडीओ रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के साथ कर चुका है
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