National

क्षेत्रीय सांसद की पहल पर पीएम ने दोबारा इस योजना को कराया चालू, पढ़ें पूरी खबर ..

बिहार-झारखंड को जोड़ने वाली गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन परियोजना फिर से चालू हो गयी है। करीब 1400 करोड़ की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना कोल ब्लॉक मिलने के चलते ठंडे बस्ते में थी। अब रेल मंत्रालय की पहल के बाद काम में फिर तेजी आने लगी है। पीरपैंती में कोल ब्लॉक के एलाइनमेंट को छोड़कर नए सिरे से जमीन अधिग्रहण की तैयारी शुरू हो गई है। इसको लेकर पूर्व रेलवे ने भागलपुर के जिला भू-अर्जन कार्यालय को जमीन का ब्योरा सौंप दिया है। पूर्व रेलवे के जमालपुर स्थित उप मंडल अभियंता ने भागलपुर प्रशासन को चार मौजे की जमीन का ब्योरा दिया है। बिहार साइड के पीरपैंती के चार मौजे की 37 एकड़ जमीन फिलहाल अधिग्रहित होगी। जिससे करीब 8 किलोमीटर तक रेल पटरी बिछ सकेगी। रेलवे के ब्योरे की जांच भू-अर्जन विभाग द्वारा कराया जा रहा है। जांच के बाद जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होगी।

बिहार साइड के चार मौजे की रिपोर्ट की हो रही जांच

जिला भू-अर्जन पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि बिहार साइड के चार मौजे की जमीन की रिपोर्ट की जांच हो रही है। रेलवे ने परियोजना को लेकर परसबन्ना, रिफादपुर, उदयपुरा व मजरौही की 37 एकड़ जमीन की रिपोर्ट दी है। इसमें परसबन्ना मौजे की 9.005 एकड़, रिफादपुर मौजे की 21.180 एकड़, उदयपुरा मौजे की 5.422 एकड़ और मजरौही मौजे की 1.813 एकड़ जमीन शामिल है। जमीन की प्रकृति, उसके स्वामित्व और एमवीआर का पता लगाया जा रहा है। रेलवे की अधियाचना के बाद जल्द ही नोटिफिकेशन निकाला जाएगा। इधर, रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि प्यालापुर में एलाइनमेंट में बदलाव है। इस तब्दीली पर थोड़ी जमीन ली जाएगी। इसका अधिग्रहण बाद में किया जाएगा क्योंकि रेलवे अभी इस जमीन पर सर्वे कराएगा। सर्वे के लिए एजेंसी का चयन शेष है। इसके लिए टेंडर हो चुका है।

रांची जाने का अतिरिक्त ट्रेन रूट बनेगा

बता दें कि गोड्डा के महगामा के पास पूर्व के एलाइनमेंट स्पॉट के नीचे कोल ब्लॉक निकल गया। इसके बाद इस परियोजना को रद्द कर दिया गया था, लेकिन एक साल पहले क्षेत्रीय सांसद की पहल पर पीएम ने दोबारा इस योजना को चालू कराया। जसीडीह-पीरपैंती परियोजना 2014 में अमल में आया। परियोजना का नाम जसीडीह-गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन परियोजना रखा गया। इसे भागलपुर से रांची जाने का अतिरिक्त रूट बताया गया। परियोजना के तहत आधी राशि झारखंड सरकार को देनी थी, लेकिन कोल ब्लॉक मिलने के बाद झारखंड सरकार ने एक भी पैसा देने से इंकार किया था। इसके बाद एक पीआईएल दर्ज होने पर पुन: यह योजना बंद बस्ते से बाहर आई।

Related Articles

Back to top button