Uttar Pradesh

उत्‍तर प्रदेश में निराश्रित गोवंशीय पशुओं को मिलेगा संरक्षण ,तेज हुई ईयर टैगिंग

उत्‍तर प्रदेश में निराश्रित गोवंशीय पशुओं को संरक्षित व उनकी पहचान करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत यूआइडी ईयर टैग लगाए जाने को अनिवार्य किया गया है। पशुपालन विभाग इसे अभियान के रूप में करा रहा है। दावा है कि गोवंशीय व महिषवंशीय पशुओं में कुल 455.11 लाख टैगिंग का कार्य कराया जा रहा है।

पशुपालन विभाग के अनुसार ईयर टैग से पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कार्य की चरणबद्ध प्रगति आनलाइन अपडेट करने, उनकी नस्ल सुधारने, बीमारियों का पता लगाने, टीकाकरण व चिकित्सा आदि का लाभ सीधे पशुपालकों को मिल रहा है। यह यूआइडी ईयर टैग पशुओं के लिए आधार कार्ड की तरह है, क्योंकि जिस पशु में यह लगाया जाता है, उसका विवरण जैसे मालिक की पहचान, नस्ल व वर्तमान स्थिति की सारी जानकारी इनाफ पोर्टल पर आनलाइन अपलोड की जाती है।

एक बार सूचना इनाफ पोर्टल पर अपलोड करने के बाद ईयर टैग का नंबर फीड करने या बारकोड को स्कैन करने पर पशु व पशु स्वामी का विवरण आनलाइन प्रदर्शित होता है। इसके अलावा ईयर टैग से पशुओं की गणना भी हो रही है, ताकि सरकार उनकी संख्या के अनुसार विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करा सके।

ईयर टैग पर 12 अंकों का विशेष नंबर होता है। इस नंबर से संबंधित पशु के बारे में आनलाइन जानकारी मिलती रहेगी। पशुओं में ईयर टैग होने से पशुबीमा, आनलाइन खरीद बिक्री सहित विभिन्न योजनाओं में आसानी होगी। ईयर टैग के साथ ही पशुओं का स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जा रहा है, जिसमें समस्त सूचनाएं अंकित की जा रही हैं।

बता दें क‍ि उत्‍तर प्रदेश व‍िधानसभा चुनाव 2022 में निराश्रित पशुओं का मुद्दा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दलों के निशाने पर था। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपनी रैली में कहा था क‍ि दस मार्च को सरकार बनने के बाद सबसे पहले निराश्रित पशुओं के मुद्दे को खत्‍म किया जाएगा।

विधानसभा चुनाव में निराश्रित पशुओं को बड़ा मुद्दा मानते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समस्या का प्रभावी निस्तारण कराने का वादा किया था। इसके बाद से ही अफसर इस समस्‍या का समाधान करने में जुटे गए थे।

प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार बनी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पशुओं खासकर गायों की रक्षा करने के साथ उनको कटने से बचाने के वादे पर अमल करते हुए सूबे के सभी अवैध बूचड़खाने बंद करा दिए थे। वहीं, आश्रय स्थल खुलने के बाद लोगों ने यह माना ल‍ियाा था कि पशुओं का पालन-पोषण अब सरकार करेगी, इसलिए प्रदेश में निराश्रितों की तादाद तेजी से बढ़ी थी।

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