उत्तराखंड के सभी जिलों में अब ई मोबाईल कोर्ट का संचालन,अदालतों में लंबित मामलों को तेजी से निस्तारण करने का उद्देश्य
उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में अब ई मोबाईल कोर्ट का संचालन किया जाएगा। वादकारियों के बयान, गवाही आदि उनके घर के पास ही दर्ज किए जाएंगे। राज्य में त्वरित न्याय की परिकल्पना को साकार करने के मकसद से हर जिले में जल्दी ही दो दो मोबाइल कोर्ट शुरू किए जाएंगे। शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान समेत वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय मिश्रा, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, न्यायमूर्ति एनएस धानिक, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, न्यायाधीशों ने जिलों के लिए आठ मोबाइल ई कोर्ट वाहन को झंडी दिखाकर रवाना किया।
इन जिलों में नैनीताल, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, बागेश्वर, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग आदि जिले शामिल हैं। इससे पहले पहाड़ के पांच जिलों चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ व चंपावत जिले के लिए मोबाइल कोर्ट वाहन रवाना किये गए थे। इस अवसर पर महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, सीएससी चंद्रशेखर रावत, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवतार सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष डीके शर्मा, रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी, रजिस्ट्रार न्यायिक धर्मेंद्र अधिकारी, रजिस्ट्रार कम्प्यूटर अंबिका पंत, ओएसडी विवेक श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।
15 अगस्त को हुआ था योजना का शुभारंभ
अदालतों में लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण के उद्देश्य से उत्तराखंड में 15 अगस्त को पांच जिलों में मोबाइल ई-कोर्ट सेवा का शुभारंभ किया गया था। उत्तराखंड मोबाइल ई कोर्ट सुविधा वाला देश का पहला राज्य गन गया। यहां की गई व्यवस्थाएं पूर्व में तेलंगाना के ऐसे प्रयोग से भी बहुत आगे की हैं। राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वादों के त्वरित निस्तारण के लिए मोबाइल ई कोर्ट की सुविधा शुरू की गई है। इसका उद्देश्य जनता को उनके द्वार पर जाकर न्याय देना है। मोबाइल ई-कोर्ट प्रथम चरण में पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली में शुरू की गई थी।
ई- कोर्ट में मिलेंगी ये सुविधाएं
मोबाइल ई-कोर्ट तमाम सुविधाओं से है। इसमें कोर्ट रूम से लेकर इंटरनेट, कंप्यूटर, प्रिंटर, अन्य उपकरण सहित न्यायालय समन्वयक भी मौजूद रहेंगे। दूरस्थ क्षेत्रों के गवाहों, विशेषकर आपराधिक घटनाओं की जांच से जुड़े आईओ और चिकित्सकों को उनके क्षेत्र से ही वैन से वीसी के माध्यम से सीधे कोर्ट से जोड़ा जाएगा और उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। रजिस्ट्रार जनरल ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों की जो महिलाएं, बच्चे, वृद्ध गवाह न्यायालय आने में किसी वजह से असमर्थ हैं, वह सम्मन तामीली व्यक्ति के साथ ही राजस्व कर्मी, पीएलवी, ग्राम विकास अधिकारी, न्यायालय समन्वयक आदि को अपना प्रार्थना पत्र लिखित रूप में दे सकते हैं। मोबाइल ई-कोर्ट वैन जिला न्यायालयों के लिए होगी और ई-कोर्ट वैन जिला जज सत्र न्यायाधीश के नियंत्रण में संचालित होगी
इन्हें कोर्ट पहुंचने में होती है दिक्कत
दहेज, छेड़छाड़, दुष्कर्म और अन्य वादों में महिला, बच्चे, बुजुर्ग साक्षी, चिकित्सक, अन्वेषण अधिकारी (आईओ) को अदालत पहुंचने में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों की वजह से न्याय मिलने में अधिक समय लग जाता है। त्वरित न्याय के सिद्धांत को हकीकत में बदलने के लिए मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन मुख्य न्यायाधीश की विशेष पहल है। इससे गवाहों के साथ ही न्यायालय का भी समय बचेगा।
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