यूपी में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार अगले हफ्ते तय, 5 से 7 नए चेहरें हो सकते हैं शामिल
यूपी में मंत्रिमंडल का विस्तार होना लगभग तय हो गया है. रविवार को बीजेपी और संघ के साथ हुई बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी मिल गई है. मंत्रिमंडल में किन नए चेहरों को जगह दी जाएगी, उस पर भी सहमति बन गई है. इसके बाद सोमवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल दिल्ली पहुंच गए. दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई चर्चा के बाद जल्द ही सब तय कर लिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि विस्तार में 5-7 नए नाम शामिल किए जा सकते हैं. इसी महीने होने वाले विस्तार की तारीख की घोषणा सीएम योगी आदित्यनाथ से चर्चा के बाद की जाएगी.
नहीं हटाया जाएगा कोई मंत्री
सूत्रों का कहना है कि संघ ने बीजेपी को मौजूदा कैबिनेट से किसी को भी नहीं हटाने की सलाह दी है. बीजेपी को इससे फायदा होने की बजाए नुकसान हो सकता है. यूपी बीजेपी ने ये सलाह मान भी ली है. रविवार को लखनऊ में संघ, सरकार और संगठन की समन्वय बैठक हुई थी. जिसमें सीएम सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन महामंत्री सुनील बंसल और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, संघ के सर कार्यवाह दत्रात्रेय होसबोले के सीथ मौजूद रहे. उसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सहमति बनी.
बैठक से लौटने के बाद बीजेपी के स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल के साथ मंथन किया. कुछ नामों पर चर्चा भी की गई. यूपी संगठन ने संभावित 10 नामों की सूची तैयार करके सोमवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ बैठक की. यूपी की सूची में से 5-7 नाम फाइनल कर लिए गए हैं. अब गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी एक बैठक होनी है. छांटे हुए नामों पर उनसे भी राय ली जाएगी.
जातीय गणित पर होगा विशेष फोकस
सूत्रों का कहना है कि संघ की राय के बाद बीजेपी ने अपनी जो सूची तैयार की है उसमें जातीय गणित पर विशेष ध्यान दिया है. मौजूदा समय में यूपी मंत्रिमंडल में सीएम के अलावा 22 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 21 राज्यमंत्री यानी कुल 53 लोग शामिल हैं. कैबिनेट में 60 लोग शामिल हो सकते हैं, इस वजह से अधिकतम सात नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. नए मंत्रियों को शामिल करते वक्त यह देखा जाएगा कि कैबिनेट में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बना रहे. कैबिनेट में दलित, पिछड़ा वर्ग के साथ ब्राह्मणों को भी प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है.
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