यूपी के साथ परिसंपत्तियों का बंटवारा,उत्तराखंड पर भारी पड़ता दिखा,उत्तराखंड परिवहन निगम के हाथ से गई आधी रकम
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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच वित्तीय लेनदेन और परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर जो समझौता हुआ है, वह उत्तराखंड को भारी पड़ता दिख रहा है। बात अगर परिवहन निगम की करें तो चार परिसंपत्तियों के बदले उसे जो 205 करोड़ रुपये मिलने थे, उसमें निगम को अब केवल 100 करोड़ रुपये ही मिलेंगे। उत्तर प्रदेश ने 105 करोड़ रुपये की धनराशि दूसरे मद में समायोजित कर ली है। इसके साथ ही उत्तराखंड ऊर्जा निगम को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से जो 57 करोड़ रुपये मिलने थे, उसमें भी शासन के अधिकारियों ने 30 करोड़ रुपये सरचार्ज माफ कर दिया। यानी, ऊर्जा निगम को अब केवल 20 करोड़ रुपये मिलेंगे।
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परिसंपत्तियों और लेनदेन से जुड़े मामलों के निबटारे के लिए 18 नवंबर को लखनऊ में उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों व शासन के अधिकारियों की अहम बैठक हुई थी। इस बैठक का कार्यवृत्त उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सोमवार को जारी किया गया। बैठक में तय हुआ था कि परिवहन निगम से जुड़े परिसंपत्ति के मामले में साल 2003 में हुए समझौते के आधार पर सर्किल मूल्य के आधार पर ब्याज सहित 205.42 करोड़ की धनराशि उत्तराखंड परिवहन निगम को मिलेगी, मगर कार्यवृत्त में रोडवेज को केवल 100 करोड़ की धनराशि देने की बात कही गई।
बताया गया कि उत्तराखंड सरकार को उत्तर प्रदेश खाद्य एवं नागरिक सुरक्षा विभाग को रिजर्व बैंक व स्टेट बैंक से लिए ऋण की एवज में 105.42 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। यह भुगतान मूलधन का है, जो उत्तराखंड के अंश का है। दोनों राज्य के अधिकारियों में सहमति बनी कि परिवहन निगम को उत्तर प्रदेश से दिए जाने वाले 205.42 करोड़ रुपये में से खाद्य एवं नागरिक सुरक्षा विभाग को दी जाने वाली 105.42 करोड़ की धनराशि को समायोजित कर लिया जाए। इसका मतलब यह हुआ कि अगर परिवहन निगम को अपने 105 करोड़ रुपये लेने हैं तो उसे अपनी सरकार से लेने होंगे। यह भी तय हुआ कि भुगतान के साथ ही दोनों राज्य अदालतों में लंबित मुकदमों को वापस लेंगे।
वहीं, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को वर्ष 2019 तक के विद्युत बिलों के लिए 57.87 करोड़ का भुगतान उत्तराखंड ऊर्जा निगम को करना था। इसमें अधिकारियों ने ‘बड़ा’ खेल करते हुए 30 करोड़ रुपये का सरचार्ज माफ कर दिया और तय हुआ कि उत्तराखंड ऊर्जा निगम को सिर्फ 20 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसके बाद के बिलों का एरियर देने एवं अन्य भुगतान नियमित करने का निर्णय भी हुआ। इससे ऊर्जा निगम के कर्मचारियों के तेवर नाराज दिख रहे हैं।
रोडवेज कर्मचारी यूनियन नाराज
परिवहन निगम को मिलने वाले 105 करोड़ रुपये अन्य मद में समायोजित करने के फैसले से उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के तेवर तल्ख नजर आने लगे हैं। यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि प्रकरण यूनियन ने उठाया था और यूनियन ही इसमें हाईकोर्ट में पक्षकार है। उत्तर प्रदेश ने 105 करोड़ रुपये समायोजित किए हैं तो परिवहन निगम को यह रकम उत्तराखंड सरकार देगी। अगर सरकार वास्तव में कोई निदान चाह रही है तो परिवहन निगम के 3000 विशेष श्रेणी व संविदा कर्मचारियों को नियमित करे। अब रोडवेज की वित्तीय स्थिति ठीक होने वाली है। ऐसे में सरकार परिवहन निगम में नियुक्तियों पर लगाया प्रतिबंध हटाए और दैनिक वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करे। अगर सरकार नियमितीकरण का निर्णय लेती है तो यूनियन हाईकोर्ट से अपना मुकदमा वापस ले लेगी।
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