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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे पंडित मोती लाल नेहरू जी की पुण्यतिथि एवं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल गफ्फार खान की जयंती प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मनाई गई। उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रदेश कांग्रेस महासचिव एवं प्रशासन प्रभारी दिनेश सिंह ने कहा कि जब देश में आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी उस समय पंडित मोती लाल नेहरू आरंभिक लोगों में एक थे। जलिया वाला बाग कांड के बाद वर्ष 1919 में अमृतसर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार अध्यक्ष तथा कलकत्ता अधिवेशन 1928 में दोबारा अध्यक्ष चुने गये। देश ही नहीं दुनिया में वकालत पेशे में ख्याति प्राप्त कर चुके पंडित नेहरू आजादी के जज्बे से ओत प्रोत हो स्वतंत्रा संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने लगे। अब्दुल गफ्फार खान पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ खुदाई खिदमतगार प्रतिरोध आंदोलन के संस्थापक थे। वह एक राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे जो अपने अहिंसक विरोध और आजीवन शांति वाद के लिए जाने जाते रहे।

अपने सम्बोधन में संगठन सचिव अनिल यादव ने कहा कि पंडित मोती लाल नेहरू आजादी की लड़ाई के वह महापुरूष थे जिन्होंने उस समय के लाखों रूपये की वकालत छोड़ देश के लिए आजादी के दिवाने हो गये। अपना पुराना घर स्वाराज्य भवन कांग्रेस को दिया जो आजादी की लड़ाई का केन्द्र बना। अब्दुल गफ्फार खान पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया इन्हें सीमान्त गांधी के नाम से भी जानती है। वर्ष 1987 में भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

इस अवसर पर संचालन अन्नता तिवारी ने किया तथा उपस्थित लोगों में जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी, प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय, विकास श्रीवास्तव, बृजेन्द्र सिंह, समीर श्रीवास्तव, शहाना सिद्दीकी, राजेश सिंह काली, सुनीता रावत, शीला मिश्रा, दयानंद सिंह दुसाध, केडी शुक्ला, सुशीला शर्मा, नरेन्द्र गौतम मेहताब जायसी, राजेन्द्र पाण्डेय, रुबीना रईस आदि प्रमुख रहे।

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